Wednesday, December 24, 2008
har pal teri yaad aati hai…
To tere aane ki yaad aati hai.
Jab saath hua karte the hum bhi,
Us zamaane ki yaad aati hai….!
Kabhi chubhati, kabhi gudgudati hai,
lekin har pal teri yaad aati hai…!
Gam nahi ki usne hame bhula diya ,
Ranj hain ki khud ko tadpaaya hoga.
Mere khaton ke harf mitaane ko,
Na jaane kitna ashq bahaaya hoga….!
Kabhi rulaati, kabhi hansaati hai,
lekin har pal teri yaad aati hai…!
Meri tasveer me jo aag lagaai hogi,
Apne haathon ko bhi jalaaya hoga.
Mehndi jo saji hogi haathon me,
Lahoo mere jigar ka usme aaya hoga….!
Kabhi jagaati, kabhi sulaati hai,
lekin har pal teri yaad aati hai…!
Saturday, November 15, 2008
छुपते क्यों हो दोस्त...
बड़ी मुश्किल से वादे निभाए जाते हैं।
ले जाती है मोहब्बत उन राहों पर,
जहाँ दिए नही दिल जलाए जाते हैं।
और मिटा देते हैं।
उनके लिए ये खेल होगा,
मगर हम को तो वो मिटटी में मिला देते हैं।
मिल जायेंगे ग़म और वो बहुत याद आएंगे
कितने गहरे हैं ज़ख्म इस दिल के,
मिलोंगे जो हमसे तो हम बताएँगे।
हम से छुपते क्यों हो दोस्त,
एक दिन हम ऐसे अंधेरों में खो जायेंगे।
फिर मांगोगे दुआओं में खुदा से हमें,
और हम फिर सपनो में भी नहीं आयेंगे।
Friday, September 26, 2008
हर पल तेरी यादें...
जो हर एक इंसान के नसीब में नही
जिसे मिलता है प्यार वो इस दुनिया का
खुश नसीब इंसान है
जिसे न मिले प्यार वो न जाने कैसे जी लेता है?
इसीलिए जिन्दगी में आ कर इंसान को किसी न किसे से प्यार करना चाहिए
एक बार अपना दिल किसी के लिए बेकरार करना चाहिए
इस से जो खुशी मिलती है वो खुशी किसी और चीज में नही
इस में मुश्किलें बहुत सी होती है
मगर उसे निभा कर आगे बढ़ने वाला इंसान ही
प्यार में कामयाब कहलाया जाता है
हरने वाले इंसान का प्यार सच्चा नही
प्यार इंसान को हसना सिखाता है
हर दर्द में रोना सिखाता है
प्यार है वो एक दरया
जिसमे खो जाने को जी चाहता है
इसीको कहते है प्यार
जो हर पल हमें यादो में
खो जाने को मजबूर करता है
जान से ज्यादा इस प्यार पर
मर मिटने को दिल चाहता है
दुनिया की नजरो से उसे चुरा कर
कही दूर ले जाने को जी चाहता है
क्योकि ये दुनिया कभी दो सच्चे प्यार
करने वालो को मिलने नही देती
मगर दिल में हो आस तो
प्यार की उमीदो को टूटने नही देती.
Saturday, September 20, 2008
इस गुनाह की कोई सज़ा नही...
आप से क्या गिला करे, आप से कुछ गिला नही।
सीसा-ऐ-दिल को तोड़ना उनका खेल है,
हमसे ही भूल हो गई उनकी कोई खता नही।
काश वो अपने गम मुझे दे दें तो कुछ सुकून मिले,
वो कितना बदनसीब है, गम जिसे मिला नही।
करनी है अगर वफ़ा कैसे वफ़ा को छोड़ दूँ ,
कहते है इस गुनाह की होती कोई सज़ा नही।
...रवि
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Friday, September 19, 2008
Thursday, September 18, 2008
आओ मिल जाये हम सुगंध और सुमन कि तरह...
हर लम्हा मर के आज फिर जी जाने दो
इसे मोहब्बत ने दिल को आज फिर धडकाया है
मुझे इश्क़ की बाहो मे सो जाने दो
तडप की आग है जुदाई की बाहो मे
मुझे आज इस मोहब्बत से मिल जाने दो
मेरी सांस चलती है तेरे नाम की आहत पे
मुझ बेनाम को इस नाम मे खो जाने दो
कसम तुझे चलने वाली हवाओ की मेहबूब
मुझे इस मोहब्बत की आग मे जल जाने दो.
...Ravi
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Wednesday, September 10, 2008
बहुत दूर हम तुम से चले जायेंगे
जब भूले से कभी हम याद आयेंगे.
अहसास होगा तुम्हे हमारी दोस्ती का जब,
दूर बहुत दूर हम तुम से चले जायेंगे।
आसमान को नीद ए तो सुलाऊं कहाँ,
धरती को मौत ए तो दफानाउन कहाँ.
सागर में लहर उठे तो छुपाऊं कहाँ,
आप जैसे दोस्त की याद ए तो जाऊं कहाँ।
उम्मीद ऐसी हो जो जीने को मजबूर करदे,
राह ऐसी हो जो चलने को मजबूर करदे.
महक कभी कम न हो अपनी दोस्ती की,
यारी ऐसी हो जो मिलने को मजबूर करदे।
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किसी की चाहत में
Friday, September 5, 2008
दिल चकना चूर हो जाते है
जो होते है दिल के पास वही दूर हो जाते है
होती है गर दूरियाँ दरमियान तो परवाह नही होती
पर जब पडती है रिश्तो मे दरारे
तो दिल चकना चूर हो जाते है
...Ravi
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Thursday, September 4, 2008
हम गिला नही करते
तेरी सूरत के सिवा और भला क्या निकला
मैने सोचा था के फरियाद करूंग़ा हकीम से
वो भी ज़ालिम तेरा चाहने वाला निकला
कर्म करो चाहे सितम करो
हम गिला नही करते
खज़ा मे फूल कभी खिला नही करते
तुम हमे भूल जाओ लेकिन ये याद रखना
हम जैसे लोग कभी मिला नही करते
...Ravi
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Tuesday, September 2, 2008
मेरी हमसफर
जिसे ज़मीर ना माने उसे सलाम ना कर
शराब पीकर बेहकना है अगर तो ना पी
हलाल चीज़ को इस तरह से हराम ना कर
ये अदा है, कोई गिला नही
मेरी हमसफर, मेरी ज़िन्दगी
मै ये सोचता हूँ के खुदा करे
तुझे ज़िन्दगी मे वो सुख मिले
जो मुझे ज़िन्दगी मे कभी मिला नही
...Ravi
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Friday, August 29, 2008
Thursday, August 28, 2008
ये तुम भी गवारा कर लेना
रो रो के गुज़ारी है हमने
तुम हंस के गुज़ारा कर लेना
बताबी हद से बढ जाये
और नींद ना आयी रातो को
तो डूब के मेरी यादो मे
दुनियाँ से किनारा कर लेना
जिस वक़्त जनाज़ा गुज़रेगा
इस शक्स का तेरे कूछे से
जज़्बात पे काबू कर लेना
खिडकी से नज़ारा कर लेना
...Ravi
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Wednesday, August 27, 2008
आंखो को अभी ख्वाब छुपाने नही आते
साहिल पे समंदर के खज़ाने नही आते
पलके भी चमक उठती है सोते मे हमारी
आंखो को अभी ख्वाब छुपाने नही आते
दिल उजडी हुई एक सराये की तरह है
अब लोग यहा रात बिताने नही आते
यारो नये मौसम ने ये एहसान किये है
अब याद मुझे दर्द पुराने नही आते
उडने दो परिंदो को अभी शोख हवा मे
फिर लौट के बचपन के ज़माने नही आते
इस शहर के बादल तेरी ज़ुल्फो की तरह है
ये आग लगाते है, बुझाने नही आते
एहबाब भी गैरो की अदा सीख गये है
आते है मगर दिल को दुखाने नही आते।
Monday, August 25, 2008
यादें पीछा नही छोड़ती
ये फरियाद मेरे जज़्बात की है
आ जाओ ज़िन्दगी मे एक पल ही सही
ज़िन्दगी मेरी चन्द लम्हात की है
बदलना आता नही हमको मौसमो की तरह
हर एक रूप मे तेरा इन्तेज़ार करते है
ना तुम समेट सकोगी जिसे क़यामत तक
कसम तुम्हारी तुम्हे इतना प्यार करते है
तेरी खुशी से ही नही गम से भी रिश्ता है मेरा ,
ये जो तेरी जिंदगी है वो एक हिस्सा है मेरा ,
अब और क्या कहू तुझसे ऐ दोस्त ,
तेरी यादें मेरा पीछा नही छोड़ती तो क्या कसूर है मेरा .
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Saturday, August 23, 2008
हम चुप है किसी की खुशी के लिये
मुस्कुराना सीखा दिया
दिल की नाज़ुक धडकनो को
दरिया वफाओ का कभी रुकता नही
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Wednesday, August 20, 2008
मेरी आंखो मे तेरे दीदार की ख्वाहिश अभी तक है
तेरी यादो से मेरे दिल की ज़ेबैश अभी तक है।
निगाहे बस तुम्हे ही ढूंढती रहती है और लम्हा,
रुख-ए-रोशन दिखा दो इनकी फरमाईश अभी तक है।
तुम्हारे बाद कोई भी नही आया है इस दिल में,
अज़ल से तुम को चाहा है अबाद तक तुम को चाहेंग़े,
मेरी उलफत की बस इतनी सी पैमाईश अभी तक है।
तुम्हारी राह मे मैने वो जो पलके बिछायी थी,
न जाने किस तरहा क़ायम ये ज़बैश अभी तक है।
Wednesday, August 13, 2008
दर्द का सैलाब हूँ
सवालों से खफा, छोटा सा जवाब हूँ,
जो समझ चुके, उनके लिए खुली किताब हूँ ,
सर उठाकर देखो, वो देख रहा है तुमको,
जिसको न देखा उसने, वो चमकता आफ़ताब हूँ,
आँख से देखोगे, तो खुश पाओगे,
दिल से पूछोगे, तो दर्द का सैलाब हूँ।
Tuesday, August 12, 2008
अहक़
रोज़-ओ-शब अपने बस ऐसे ही बसर हो जाते
खुदनुमाई का हमे शौक नही था वरना
इस तरह जान लुटाते के अमर हो जाते
जान-ए-बे शौक से हम तेरी नज़र हो जाते
तू सदफ है हमे तसलीम है ये बात मगर
साथ मिलता जो तेरा हम भी गुहार हो जाते
तू कभी रब से हमे मांग के तकता तो सही
हम तेरी सारी दुआओ का असर हो जाते।
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Monday, August 11, 2008
उनकी राहों मे
अरे वो तो जगमगा रहा है मेरी बाहो मे
हैरान है सब, फलक पे नही है सितारे
बिछा दिये हम ने सारे उनकी राहों मे.
उसकी यादो मे आना जाना अच्छा लगता है
सब कहते है ये ख्वाब है तेरा लेकिन
ख्वाब मे मुझको रहना अच्छा लगता है.
Thursday, August 7, 2008
एक बूँद आंख का पानी हूँ मैं
उस की हँसी ने तो आज मुझे रुला दिया.
लहजे से उठ रहा था हर एक दर्द का धुंआ.
चेहरा बता रहा था के कुछ गँवा दिया।
आवाज़ में ठहरो था आंखों में नमी थी.
और कह रहा था के मैंने सब कुछ भुला दिया.
जाने क्या उस को लोगों से थी शिकायतें.
तनहाइयों के देश में ख़ुद को बसा दिया।
मुझ को भी इतने लोगों में तनहा बना दिया.
अगर रख सको तो एक निशानी हूँ मैं.
और खो दो तो सिर्फ़ एक कहानी हूँ मैं.
रोक पाए न जिसको ये सारी दुनिया.
वो एक बूँद आंख का पानी हूँ मैं.
दिल में तुम्हारे अपनी कमी छोड़ जायेंगे.
आंखों में आंसुओं की नमी छोड़ जायेंगे.
याद रखना मुझे ढूंढ़ते फिरोगे एक दिन.
जब हम यह जिंदगानी छोड़ जायेंगे।
...रवि
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Wednesday, August 6, 2008
जब भी ख्वाहिश हुई
आँखों को छोड़ दें नींद-भर सोने के लिए।
और तेरा जाना काफी है मुझे रुलाने के लिए।
दिल का दरिया है गम छुपाने के लिए।
कुछ नही पास मेरे अब खोने के लिए।
एक शाना न मिला ढूंढे से,
पल दो पल चैन से सोने के लिए।
रह गया दर्द पलकें भिगोने के लिए।
दरो-दीवार ही फिर से सहारा देंगे,
जब भी ख्वाहिश हुई रोने के लिए।
जिसमें सिर्फ़ मैं और मेरी तन्हाई हो,
मुन्तेजिर हूँ ऐसे किसी कोने के लिए।
...रवि
Tuesday, August 5, 2008
मंजिलें दूर हैं
उनसे मिलने का हर वक्त गवारा भी है,
हर तरफ़ मुश्किलें हैं दिल को ये मालूम भी है,
हर तरफ़ खाई है कुछ दूर पर किनारा भी है।
मुद्दत तो न हुए थे पर दिल को क्यूँ ये लगता है,
दर्द बेसुमार है पर दिल को संभाला भी है,
इतनी शिद्दत से मैं उनका क्यूँ न इंतज़ार कतरा,
आख़िर वो दोस्तों में सब से प्यारा भी है.
मंजिलें दूर हैं पर उनका सहारा भी है...
वो जूनून नही पर जूनून से कम भी नही है वो,
महबूब इस दिल का और शुकून हमारा भी है,
न ख्वाहिश कम है न आरजू कम है उनका,
ज़ज्बा इस दिल का और सुरूर हमारा भी है.
मंजिलें दूर हैं पर उनका सहारा भी है...
Monday, August 4, 2008
गर हम न रहे
फूल को खिलना सिखाया नही जाता।
कोई बन जाता है ख़ुद ब ख़ुद,
किसी को अपना बनाया नही जाता।
दिल जो टूटेगा तो फरियाद करोगे तुम,
हम न रहे तो हमें याद करोगे तुम।
आज तो कहते हो हमारे पास वक्त नही,
पर एक दिन मेरे लिये वक्त बरबाद करोगे तुम।
Sunday, August 3, 2008
ख्वाहिश
किसी मोड़ पर
कौन थक गया, हार गया
पथरीली राहों का ज़हर
चुप चाप किसको मार गया
कौन कहे किससे
चमकती आँखों से दिये
बुझ क्यों गये
वीरान है आशियां
मकीन किधर जा बसे
वहशत-ज़दा सा कोई इन वीरानों में
खामोश उदास क्यों चुप चाप रोता है
उड़ती खाक किसको याद करती है
पानी बिना बरसे किसको भिगोता है
कौन कहे किस से
के राही राह क्यों भटक गया
सफर शुरु भी ना हुया और कोई बे-तरह थक गया
है कुछ कहने के लिये कुछ बचा ही नहीं
शायद कोई ख्वाहिश रोती रहती है
मेरे अंदर बारिश होती रहती है.
Saturday, August 2, 2008
मैं वही हूँ
दिन में सौ बार मेरा नाम लिया करते थे
आज क्या बात है क्यूँ मुझसे खफा बैठे हो
क्या किसी और का दिल अपना बना बैठे हो ?
मैं वही हूँ जिसे तुम प्यार किया करते थे
मन के ये गम है कोई सौगात नही
तुम हमें अपना कहो ऐसे भी हालात नही।
ज़ख्म तो पहले भी इस दिल पे लगा करते थे
मैं वही हूँ,जिसे तुम प्यार किया करते थे
जी में आता है कि आज तुम्हें तडपा दूँ
दर्द जो तुमने दिए वो सब तुम को लौटा दूँ
अगर भूल गए हो तो ये बतला दूँ
तुम मुझे हासिल-ऐ- अरमान कहा करते थे
मैं वही हूँ जिसे तुम प्यार किया करते थे
Friday, August 1, 2008
अश्कों की ज़ुबाँ
निकले थे कहाँ जाने के लिए,
पहुंचे हैं कहाँ मालूम नहीं,
अब अपने भटकते कदमों को,
मंजिल का निशान मालूम नहीं,
बर्बाद वफ़ा का अफसाना हम,
किस से कहें और कैसे कहें,
खामोश हैं लब और दुनिया को,
अश्कों की जुबां मालूम नहीं.
दिल शोला-ए-ग़म से ख़ाक हुआ,
या आग लगी अरमानों में,
क्या चीज़ जली क्यूँ सीने से,
उठा हैं धुंआ मालूम नहीं,
हमने भी कभी इस गुलशन का,
एक ख्वाब-ए-बहारां देखा था,
कब फूल झरे, कब गर्द उडी,
कब आई खिजां मालूम नहीं.
...रवि
http://mere-khwabon-me।blogspot.com/
Thursday, July 31, 2008
http://mere-khwabon-me.blogspot.com/
Wednesday, July 30, 2008
मेरी चाहत में
मेरी चाहत में
कभी उससे भी मेरी याद सताती होगी
अपनी आंखों में मेरे खवाब सजाती होगी
वो जो हर वक्त ख्यालों में बसी रहती है
कभी तो मेरी भी सोचो में खो जाती होगी
वो जिसकी राह में पलकें बिछी रहती है
कभी मुझे भी अपने पास बुलाती होगी
लबों पर रहती है वो हर पल हँसी बैंकर
तसावर से मेरे, वो भी मुस्कुराती होगी
वो जो शामिल है मेरे गीत मेरे नाघ्मो में
कभी तन्हाई में मुझको गुन गुनाती होगी
जिसके लिए मेरा दिल बेकरार रहता है
मेरे लिए अपना चैन भी गवाँती होगी
जिससे इज़हार-ऐ-वफ़ा हर पल करना चाहूं
कभी इकरार तो वो भी करना चाहती होगी
जिसके लिए मेरी हर रात है करवट करवट
कभी तो उसे भी नींद न आती होगी
जिसकी उल्फत की शमा से है मेरा दिल रोशन
मेरी चाहत के वो भी दीप जलती होगी
घाम-ऐ-फिराक मेरा ही मुक़दर है या फिर
मेरी जुदाई उसे भी युही रुलाती होगी
...Ravi
Monday, July 28, 2008
मुस्कान
आप की दोस्ती
वादा तो नही करते दोस्ती निभायंगे,
हर रिस्तों के मुकाम नहीं होते…
दोस्त है तो आंसुओ की भी शान होती है,
Sunday, July 27, 2008
ख्वाबोँ का किला
ख्वाबोँ का किला
यह जोश-ए-जुनून देख के तारा
हमारे दिल के धड़कन रुक सी गयी
देख के ऐसे मोहब्बत आँखों मे तेरे
हमारे दिल मे भी चिंगारी सुलग गई
आज तेरे प्यार में एक शमा जलाए है
तेरे आने की उमीद मे आँगन सजाया है
तेरा राह देखती है यह तरसती आँखें
तेरी मोहब्बत से मैने ख्वाबोँ का किला बनाया है
तेरी दीवानी हुई मैं ऐ हमनशीन
तेरी मोहब्बत लाखों मे है एक हसीन
तेरे जैसा देखा नही मैने कोई
दिल मे एक तूफान मन मे है एक सनसनी.
Saturday, July 26, 2008
ख्वाबो me
ख्वाबों में भी तुम आने लगे
रात तोह काटे नहीं कट टी थी और अब तो
धड्कनों में भी तुम समाने लगे
दोस्त हज़ार नहीं सिर्फ एक चाहिए
दुःख सुख में दे साथ वो यार चाहिए
हम किसी को भूलते नहीं
लेकिन जो हमें याद रखे वो यार चाहिए
दोस्ती की तड़प को दिखाया नहीं जाता
दिल में लगी आग को बुझाया नहीं जाता
कितनी भी दूरी हो दोस्ती में
आप जैसे दोस्त को भुलाया नहीं जाता...
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'Mere Khwabon Me'
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Thursday, July 24, 2008
कुछ खोया सा रहता हूँ
तुम याद मुझे करते होगे और ख्वाब मेरे बुनते होंगे,
पहले की तरह शायद अब भी तस्वीर मेरी रखते होगे,
अक्सर की दुआओं में अब भी मेरे लिए तुम कहते होगे,
खुश रहने की शायद अब भी तम्बीह मुझे करते होगे.
और देर तलक उन रास्तों पर तनहा तनहा चलते होगे,
गुमनाम अंधेरो में अब तो सपनो की कबर बन जाती हैं
सूरज की किरणों से अब रूह मेरी जल जाती हैं,
फिर सोचता हूँ शायद तुम भी कुछ खोये से रहते होगे.
दुनिया की इस भीड़ में अक्सर घूम हो कर रहते होगे,
शायद उन लम्हों की यादें कांटो सी चुभती होंगी
फिर भूलने की खातिर उनको तुम ख़ुद से सौदा करते होगे,
हर शाम में तनहा रहता हूँ, रास्तो को में तकता हूँ,
कुछ होश नही हैं मुझको भी, मैं क्यों अब ऐसा रहता हूँ।
रास्ते
बे-ज़मीन लोगों को
बेक़रार आँखो को
बद-नसीब कदमो को
जिस तरह भी ले जाये
रास्तों की मरज़ी है
बे-निशान जज़ीरों पर
बद-ग़ुमान शहरों में
बे-ज़ुबान मुसाफिर को
जिस तरह भी भटका दे
रास्तों की मरज़ी है
रोक दे या बढ़ने दे
थाम ले या गिरने दे
वसल की लकीरों को
तोड़ दे या मिलने दे
रास्तों की मरज़ी है
अजनबी कोई लाकर हमसफर बना दे
साथ चलने वालों की राख भी उड़ा दे
या मुस्फतें सारी
खाक मे मिला दे
रास्तों की मरज़ी है.
....Ravi
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Tuesday, July 22, 2008
तेरी आंखो से
किताबो मे मेरे फसाने ढुढते है
नादान है, गुज़रे ज़माने ढुंढते है
जब वो थे, तालाश-ए-ज़िन्दगी भी थी
अब तो मौत के ठिकाने ढूंढते है
कल खुद ही अपनी मेहफिल से निकाला था
आज हुए से दिवाने ढूंढते है
मुसाफिर बेखबर है तेरी आंखो से
तेरे शहर मे मैखाने ढूंढते है
तुझे क्या पता ए-सितम धाने वाले
तेरे दिये ज़ख्मो मे प्यार के नज़राने ढूंढते है
निकल आते है अश्क़ हंसते हंसते
हम तो रोने के बहाने ढूंढते है.
Plz comment on- https://www.blogger.com/comment.g?blogID=5111566473051374458&postID=192878912822906803
...Ravi
'YADEIN'
http://ravi-yadein.blogspot.com/
आंखो मे पानी
इकरार मे शब्दो की एहमियत नही होती
दिल के जज़्बात की आवाज़ नही होती
आंख बयान कर देती है दिल की दास्तान
मोहब्बत लफ्ज़ो की मोहताज नही होती।
वो मिल जाते है कहानी बनकर
दिल मे बस जाते है निशानी बनकर
जिन्हे हम रखते है अपनी आंखो मे
क्यो निकल जाते है वो पानी बनकर।
तुम्हे बख्श दी दिल पे हुकमरानी और क्या देते
येही थी बस हमारी राजधानी और क्या देते
सितारो से किसी की मांग भरना एक फसाना है
तुम्हारे नाम लिख दी ज़िन्दगी और क्या देते
बिछडते वक़्त उसको एक तोहफा देना था
हमारे पास था आंखो मे पानी और क्या देते।
...Ravi
'YADEIN'
http://ravi-yadein.blogspot.com/
Saturday, July 19, 2008
वो हमारे हैं
जिनकी आंखे आंसु से नम नही
क्या समझते हो उसे कोई गम नही।
तुम तडपके रो दिये तो क्या हुआ
गम छुपाके हंसने वाला भी कुछ कम नही।
वो हमको बुलाते है हम जा भी नही सकते
मज़बूरी मगर उनको बतला भी नही सकते
ना जाने खता क्या है इस कदर खफा है वो
पहलू मे उन्हे अपने हम ला भी नही सकते
चाहे ना बिठाये वो मेहफिल मे हमे अपनी
दिल मे वो हमारे है ठुकरा भी नही सकते
अब आखिरी सांसे है जाते है जहाँ से हम
संदेशा उनको भिजवा भी नही सकते.
ये खामोश समा भी कई राज़ कह जाता है
चुप रहके भी कई लफ्ज़ बयान कर जाता है
तकलीफ तब नही होती जब कोई दिल तोड जाता है
दर्द तब होता है जब कोई अपना हमसे रुठ जाता है।
....रवि
Friday, July 18, 2008
बिंदास चाहत
एक आंसू भी गिरा तो सुनाई देगा
एक आंसू भी गिरा तो सुनाई देगा
इस रात की तन्हाइयों की बात लिखूं,
या दीदार को तरसती आँखों का हिसाब लिखूं,
तुमसे दूर रहने का गम बयान करुँ,
या फिर अपनी ही बंद जुबां करुँ.
नज़रें मिले एक ज़माना हो गया,
ऐसा लगता है अपना भी कोई बेगाना हो गया,
वो तो चले गए हमसे दूर,
लेकिन मुश्किल इस दिल को समझाना हो गया.
याद में तेरी, आँखे भरता है कोई,
हर सांस के साथ तुझे याद करता है कोई,
मौत तो सच्चाई है, आनी है एक दिन,
लेकिन तेरी जुदाई में हर रोज़ मरता है कोई.
हमे भी प्यार करने का ख़याल आया,
जब भी यह ख़याल आया खुद को अकेला पाया,
घुमते रहे इस दुनिया में हमसफ़र,
किसी को धोखेबाज़, किसी को बेवफा ही पाया.
जुबान खामोश, आँखों में नमी है,
यही एक दास्तान-ए-दोस्ती है ,
यूँ तो सब ज़ख्म भर जाते हैं,
कैसे भरेगी वो जगह जहां आप की कमी है.
हर शाम के बाद रात आती है,
हर बात के बाद तुम्हारी याद आती है,
चुप रहकर भी देख लिया हमने,
खामोशियो से भी तुम्हारी आवाज़ आती है.
यूँ ही तन्हाई में हम दिल को सज़ा देते हैं,
नाम लिखते हैं तेरा लिख कर मिटा देते हैं,
यही सोच कर रहने दिया अरमानों को दिल में,
मेहमान कभी घर से निकाले नही जाते.
आज खुशियो की कोई दुहाई देगा,
निकला है चाँद तो दिखाई देगा,
ए मोहब्बत करने वालों,
ज़रा देख के मोहब्बत करना,
एक आंसू भी गिरा तो सुनाई देगा.
फूल खिलते रहें जिंदगी की राह में,
हँसी चमकती रहे आप की निगाह में
कदम कदम पे मिले खुशिओं की बहार, आप को,
दिल देता है यह ही दुआ बार बार आप को.
...Ravi
from- “Mere Khwabon Me”
http://creativehindi.blogspot.com/
Thursday, July 17, 2008
कुछ दूर हमारे साथ चलो
समझे न जिसे तुम आंखों से, वो बात जुबानी कह देंगे,
फूलों की तरह जब होंठों पर इक शोक तबस्सुम बिखरेगा,
धीरे से तुम्हारे कानों में इक बात पुरानी कह देंगे,
इज़हार-ऐ-वफ़ा तुम क्या समझो इकरार-ऐ-वफ़ा तुम क्या जानो,
हम जिक्र करेंगे गैरों का और अपनी कहानी कह देंगे,
मौसम तो बड़ा ही जालिम है तूफ़ान उठाता रहता है,
कुछ लोग मगर इस हलचल को बदमस्त जवानी कह देंगे,
समझे न जिसे तुम आंखों से, वो बात जुबानी कह देंगे,
कुछ दूर हमारे साथ चलो हम दिल की कहानी कह देंगे.
...रवि
from 'Mere Khwabon Me'
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Wednesday, July 16, 2008
जीवन जीना एक कला
जीवन क्या है
जीवन जीना एक कला है. यह अधिकांश लोगों के समझ में नही आता. जिंदगी एक खेल है जिसमें हार - जीत और सफलता-असफलता आवश्यकता से अधिक महत्व देकर परेशान नही होना चाहिए. बस हंसते हुए इसे खेलना चाहिए और सदा जीत की और प्रयासरत होना चाहिए.
जीवन एक युद्ध है. इसे कायरों को भी लड़ना पड़ता है. कठिनाईयां, मुसीबतें और दुःख ऐसे ही शत्रु हैं जिनसे हमें लड़ना ही होगा. इनसे पीछा छुडाना असंभव है. इस लड़ाई को अपनी मजबूरी समझकर नही बल्कि एक चुनौती समझकर बहादुरी पूर्वक खुशी से हंसकर लड़ना चाहिए, रोकर नही. और फ़िर, हंसने में तो सभी साथ देते हैं, रोने में कोई साथ नही देता.
जीवन एक महँ यात्रा है. रास्ते में राहगीर को कभी साफ़ सड़क तो कभी कंटीले जंगल भी पार करने होते हैं. कभी पहाड़ पर चढाई करनी होती है तो कभी कहीं नदियों को तैरकर पार करमा पड़ता है. पर रास्ते की थकान वह घबराकर या रास्ता बहुत लंबा है…सोचकर यदि वह बैठ जाए तो वह मंजिल पर नही पहुँच सकता. सच्चे राहगीर की तरह जिंदगी के उतार-चढाव के बीच भी अपनी लक्ष्य के प्रति लगन व तत्परता बनाये रखें तो देर-सबेर मंजिल तक पहुचना निश्चित समझिये. सुच-दुःख को रास्ते किड हूप-छावं माने. इनमे आशक्त नह ओं. सुख हो या दुःख, कोई भी समय ज्यादा देर तक स्थायी नही रह सकता.
पत्थर वर्षों तक नदी में पड़ा रहे तो भी उसके भीतर नमी नही पहुँच पति. तोड़ने पर सूखा ही निकलता है. किंतु मिटटी का धेला जरा सा पानी पड़ने से ही गीला हो जाता है. उसी तरह भावनाशील ह्रदय थोडे से उपदेश को भी हृदयंगम कर लेता है पर आडम्बर में दुबे रहने वालों का ज्ञान जीभ तक ही सीमित रहता है. वे उसे भीतर नही उतार पाते. फलतः बकवादी बैंकर रह जाते हैं.
बात-चित का स्टार भी मनुष्य के प्रभाव और व्यक्तित्व को प्रकट करता है. बहुत ज्यादा चुप रहने वाले अथवा अधिक बोलने वाले, दोनों ही तरह के लोग अच्छे नही समझे जाते. आवाश्यक्तानुशार ठोस और नपी-तुली बात-चित करमा मनुष्य के व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाती है.
...रवि
Tuesday, July 15, 2008
तू मुझसे जुदा मैं तुझसे जुदा
तू मुझसे जुदा मैं तुझसे जुदा
तुम याद मुझे करते होगे और ख्वाब मेरे बुनते होगी,
पहले की तरह शायद अब भी तस्वीर मेरी रखते होगी
अक्सर की दुओं में अब भी मेरे लिए तुम कहते होगी,
खुश रहने की शायद अब भी तम्बीह मुझे करते होगी
और देर तलक उन रास्तों पर तनहा तनहा चलते होगी,
गुमनाम अंधेरो में अब तो सपनो की कबर बन जाती है
सूरज की किरणों से अब रूह मेरी जल जाती है,
फिर सोचता हूँ शायद तुम भी कुछ खोये से रहते होगी
दुनिया की इस भीड़ में अक्सर घूम हो कर रहते होगी,
शायद उन लम्हों की यादें कांटो सी चुभती होंगी
फिर भूलने की खातिर उनको तुम ख़ुद से सौदा करते होगी,
हर शाम मैं तनहा रहता हूँ,रास्तो को मैं ताकता हूँ
कुछ होश नही है मुझको भी मैं मैं क्यों अब ऐसा रहता हूँ.
.....एक दिन मैंने अपने असू से सवाल किया की क्यों तुम चले आते हो मेरे पास। तब वो मचल के बोले की भरी महफिल मई तुम को अकेला पते है तो साथ देने चले आते है ........
न.B. It is here published by me because in my opinion, these words should be known to all.
With Spl.Thanks to Palak
...Ravihttp://galaxy-gyan-ganga.blogspot.com/
आपके इन्तेज़ार मे
आपके इन्तेज़ार मे
जिधर भी देखता हूँ तन्हाई नज़र आती है
आपके इन्तेज़ार मे हर शाम गुज़र जाती है
मै कैसे करू गिला दिल के ज़ख्मो से हुज़ूर
आंसू छलकते है मेरी सूरत निखर जाती है
तोड दिये है मैने अपने घर के सारे आईने
मेरी रूह मेरा ही चेहरा देख के डर जाती है
रोके हल्के हो लेते है ज़रा से तेरी याद मे
ज़रा सी ना-मुरादो की तबियत सुधर जाती है
असर करती यकीनन गर छू जाती उनके दिल को
लेकिन अफसोस के आह मेरी फिज़ाओ मे ही बिखर जाती है
मैकदे मे जब भी ज़िक्र आता है तेरे नाम का
शाम की पी हुई सर-ए-शाम उतर जाती है
कभी आके मेरे ज़ख्मो से मुक़ाबला तो कर ए खुशी
तू मूह मोड के किधर जाती है तुझे इन्ही कांटो पे चल के जाना होगा
उनके घर को पास यही एक रहगुज़र जाती है.
...रवि
Monday, July 14, 2008
डर लगता है
थमे हुए पानी मे भी अब जाने से डर लगता हैखुले आसमान मे भी जाने से डर लगता हैकभी सुनाते थे यारो को हम भी किस्से मोहब्बत केअब तो इश्क़ के ढाई अक्शर गुनगुनाने से डर लगता है
हम किसके सहारे जीये
कुछ तो जीते है जन्नत की तमन्ना लेकरकुछ तमान्ये जिना सिखा देती हैहम किसके सहारे जीयेज़िन्दगी रोज एक तमन्ना बढा देती है
नये ज़माने की मोहब्बत
हमे तो इश्तेहारो सी लगती है ये मोहब्बत की कहानियाँजो कहा नही वो सुना करो, जो सुना नही वो कहा करोये तो नये ज़माने की मोहब्बत है यार्रोजरा फासले से मिला करो
किसी की नज़र मे हूँ
मिट्टी का जिस्म लेके पानी के घर मे हूँमन्ज़िल है मौत मेरीमै हर पल सफर मे हूँहोना है क़त्ल ये मालुम है मुझेलेकिन खबर नही किसी की नज़र मे हूँ
दोस्ती बेची
कभी आंसू तो कभी खुशी बेचीहमने अकेलेपन मे तन्हाई बेचीचन्द सांसे है खरीदने के लियेरोज मरती हुई ज़िन्दगी बेचीसताने लगे जब मुझ मेरे ही सायेपरेशान होके मैने रोशनी बेचीएक हम ही थे जो खुद ही बिक गयेवरना लोगो ने तो ज़िन्दगी बेची