Wednesday, July 16, 2008

जीवन जीना एक कला


जीवन क्या है



जीवन जीना एक कला है. यह अधिकांश लोगों के समझ में नही आता. जिंदगी एक खेल है जिसमें हार - जीत और सफलता-असफलता आवश्यकता से अधिक महत्व देकर परेशान नही होना चाहिए. बस हंसते हुए इसे खेलना चाहिए और सदा जीत की और प्रयासरत होना चाहिए.

जीवन एक युद्ध है. इसे कायरों को भी लड़ना पड़ता है. कठिनाईयां, मुसीबतें और दुःख ऐसे ही शत्रु हैं जिनसे हमें लड़ना ही होगा. इनसे पीछा छुडाना असंभव है. इस लड़ाई को अपनी मजबूरी समझकर नही बल्कि एक चुनौती समझकर बहादुरी पूर्वक खुशी से हंसकर लड़ना चाहिए, रोकर नही. और फ़िर, हंसने में तो सभी साथ देते हैं, रोने में कोई साथ नही देता.

जीवन एक महँ यात्रा है. रास्ते में राहगीर को कभी साफ़ सड़क तो कभी कंटीले जंगल भी पार करने होते हैं. कभी पहाड़ पर चढाई करनी होती है तो कभी कहीं नदियों को तैरकर पार करमा पड़ता है. पर रास्ते की थकान वह घबराकर या रास्ता बहुत लंबा है…सोचकर यदि वह बैठ जाए तो वह मंजिल पर नही पहुँच सकता. सच्चे राहगीर की तरह जिंदगी के उतार-चढाव के बीच भी अपनी लक्ष्य के प्रति लगन व तत्परता बनाये रखें तो देर-सबेर मंजिल तक पहुचना निश्चित समझिये. सुच-दुःख को रास्ते किड हूप-छावं माने. इनमे आशक्त नह ओं. सुख हो या दुःख, कोई भी समय ज्यादा देर तक स्थायी नही रह सकता.

पत्थर वर्षों तक नदी में पड़ा रहे तो भी उसके भीतर नमी नही पहुँच पति. तोड़ने पर सूखा ही निकलता है. किंतु मिटटी का धेला जरा सा पानी पड़ने से ही गीला हो जाता है. उसी तरह भावनाशील ह्रदय थोडे से उपदेश को भी हृदयंगम कर लेता है पर आडम्बर में दुबे रहने वालों का ज्ञान जीभ तक ही सीमित रहता है. वे उसे भीतर नही उतार पाते. फलतः बकवादी बैंकर रह जाते हैं.

बात-चित का स्टार भी मनुष्य के प्रभाव और व्यक्तित्व को प्रकट करता है. बहुत ज्यादा चुप रहने वाले अथवा अधिक बोलने वाले, दोनों ही तरह के लोग अच्छे नही समझे जाते. आवाश्यक्तानुशार ठोस और नपी-तुली बात-चित करमा मनुष्य के व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाती है.

...रवि

1 comment:

Anonymous said...

Its to good thinking u have Ravi, awaiting ur next post.
...Sunil