Wednesday, July 30, 2008

मेरी चाहत में


मेरी चाहत में

कभी उससे भी मेरी याद सताती होगी
अपनी आंखों में मेरे खवाब सजाती होगी
वो जो हर वक्त ख्यालों में बसी रहती है
कभी तो मेरी भी सोचो में खो जाती होगी
वो जिसकी राह में पलकें बिछी रहती है
कभी मुझे भी अपने पास बुलाती होगी
लबों पर रहती है वो हर पल हँसी बैंकर
तसावर से मेरे, वो भी मुस्कुराती होगी
वो जो शामिल है मेरे गीत मेरे नाघ्मो में
कभी तन्हाई में मुझको गुन गुनाती होगी
जिसके लिए मेरा दिल बेकरार रहता है
मेरे लिए अपना चैन भी गवाँती होगी
जिससे इज़हार-ऐ-वफ़ा हर पल करना चाहूं
कभी इकरार तो वो भी करना चाहती होगी
जिसके लिए मेरी हर रात है करवट करवट
कभी तो उसे भी नींद न आती होगी
जिसकी उल्फत की शमा से है मेरा दिल रोशन
मेरी चाहत के वो भी दीप जलती होगी
घाम-ऐ-फिराक मेरा ही मुक़दर है या फिर
मेरी जुदाई उसे भी युही रुलाती होगी
...Ravi

6 comments:

seema gupta said...

वो जिसकी राह में पलकें बिछी रहती है
कभी मुझे भी अपने पास बुलाती होगी
लबों पर रहती है वो हर पल हँसी बैंकर
तसावर से मेरे, वो भी मुस्कुराती होगी
"bhut pyaree see manmohak poetry
good work"

रंजना said...

बहुत ही सुंदर कोमल भाव लिए हुए प्रवाहमयी रचना.बधाई.

बालकिशन said...

बेहतरीन... बेहद उम्दा....

vipinkizindagi said...

बहुत सुंदर

ARUN said...

nice,
aap ne to mera dil hi pani pani kar diya
arun agarwal
sikar road jaipur

ARUN said...

nice,
aap ne to mera dil hi pani pani kar diya
arun agarwal
sikar road jaipur