Friday, August 29, 2008


दिल न मान ले तेरे झूठ को सच
इज़हार-ऐ-इश्क तुमने ही तो किया था
पहले तो मैंने भी इनकार किया था
कर के यकीन तेरे उन वादों पर
गुन्नाह-ऐ- मोहब्बत कर बैठा।

किसको दिखाऊँ ये दर्द भरे ज़ख्म
कैसे मिटा तेरी यादें।

अब बन कर तेरा deevana.
कभी आर कभी पार
सिर्फ़ तुझ को ही पुकारू

Thursday, August 28, 2008

ये हम भी गवारा करते है
ये तुम भी गवारा कर लेना
रो रो के गुज़ारी है हमने
तुम हंस के गुज़ारा कर लेना
बताबी हद से बढ जाये
और नींद ना आयी रातो को
तो डूब के मेरी यादो मे
दुनियाँ से किनारा कर लेना
जिस वक़्त जनाज़ा गुज़रेगा
इस शक्स का तेरे कूछे से
जज़्बात पे काबू कर लेना
खिडकी से नज़ारा कर लेना

...Ravi
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Wednesday, August 27, 2008

आंखो को अभी ख्वाब छुपाने नही आते


होठो पे मोहब्बत के फसाने नही आते
साहिल पे समंदर के खज़ाने नही आते
पलके भी चमक उठती है सोते मे हमारी
आंखो को अभी ख्वाब छुपाने नही आते
दिल उजडी हुई एक सराये की तरह है
अब लोग यहा रात बिताने नही आते
यारो नये मौसम ने ये एहसान किये है
अब याद मुझे दर्द पुराने नही आते
उडने दो परिंदो को अभी शोख हवा मे
फिर लौट के बचपन के ज़माने नही आते
इस शहर के बादल तेरी ज़ुल्फो की तरह है
ये आग लगाते है, बुझाने नही आते
एहबाब भी गैरो की अदा सीख गये है
आते है मगर दिल को दुखाने नही आते।

...रवि

Monday, August 25, 2008

यादें पीछा नही छोड़ती


दिल मे हसरत तेरी मुलाक़ात की है
ये फरियाद मेरे जज़्बात की है
आ जाओ ज़िन्दगी मे एक पल ही सही
ज़िन्दगी मेरी चन्द लम्हात की है

बदलना आता नही हमको मौसमो की तरह
हर एक रूप मे तेरा इन्तेज़ार करते है
ना तुम समेट सकोगी जिसे क़यामत तक
कसम तुम्हारी तुम्हे इतना प्यार करते है

तेरी खुशी से ही नही गम से भी रिश्ता है मेरा ,
ये जो तेरी जिंदगी है वो एक हिस्सा है मेरा ,
अब और क्या कहू तुझसे ऐ दोस्त ,
तेरी यादें मेरा पीछा नही छोड़ती तो क्या कसूर है मेरा .


...Ravi
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Saturday, August 23, 2008

हम चुप है किसी की खुशी के लिये

हम चुप है किसी की खुशी के लिये


जो तू चाहे वो तेरा हो

रोशन राते और खुबसूरत सवेरा हो

जारी रखेंग़े हम दुआओ का सिलसिला

कामयाब हर मन्ज़िल पर दोस्त मेरा हो.


मुस्कुराना सीखा दिया
दिल की नाज़ुक धडकनो को

मेरे सनम तुने धडकना सीखा दिया

जब से मिला है तेरा प्यार दिल को

गम मे भी मुस्कुराना सीखा दिया.


दरिया वफाओ का कभी रुकता नही

मोहब्बत मे इंसान कभी झुकाता नही

हम चुप है किसी की खुशी के लिये

और वो सोचते है के दिल हमारा दुखता नही.



...Ravi
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Wednesday, August 20, 2008

मेरी आंखो मे तेरे दीदार की ख्वाहिश अभी तक है


मेरी आंखो मे तेरे दीदार की ख्वाहिश अभी तक है।
तेरी यादो से मेरे दिल की ज़ेबैश अभी तक है।
निगाहे बस तुम्हे ही ढूंढती रहती है और लम्हा,
रुख-ए-रोशन दिखा दो इनकी फरमाईश अभी तक है।

तुम्हारे बाद कोई भी नही आया है इस दिल में,
तुम अपना घर बना लो इतनी गुनजाईश अभी तक है।
अज़ल से तुम को चाहा है अबाद तक तुम को चाहेंग़े,
मेरी उलफत की बस इतनी सी पैमाईश अभी तक है।

तुम्हारी राह मे मैने वो जो पलके बिछायी थी,
न जाने किस तरहा क़ायम ये ज़बैश अभी तक है।

Wednesday, August 13, 2008

दर्द का सैलाब हूँ

दर्द का सैलाब हूँ

इस अजनबी दुनिया में, अकेला एक खवाब हूँ,
सवालों से खफा, छोटा सा जवाब हूँ,

जो न समझ सके, उनके लिए ‘कौन?’,
जो समझ चुके, उनके लिए खुली किताब हूँ ,
सर उठाकर देखो, वो देख रहा है तुमको,
जिसको न देखा उसने, वो चमकता आफ़ताब हूँ,
आँख से देखोगे, तो खुश पाओगे,
दिल से पूछोगे, तो दर्द का सैलाब हूँ।

Tuesday, August 12, 2008

अहक़

हक़


तेरे शाने पे कभी रख के ये सर सो जाते
रोज़-ओ-शब अपने बस ऐसे ही बसर हो जाते
खुदनुमाई का हमे शौक नही था वरना
इस तरह जान लुटाते के अमर हो जाते
जान-ए-बे शौक से हम तेरी नज़र हो जाते


तू सदफ है हमे तसलीम है ये बात मगर
साथ मिलता जो तेरा हम भी गुहार हो जाते
तू कभी रब से हमे मांग के तकता तो सही
हम तेरी सारी दुआओ का असर हो जाते।


...Ravi
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Monday, August 11, 2008

उनकी राहों मे

उनकी राहों मे
ढूंढता है ज़माना बेदाग चाँद सितारो मे
अरे वो तो जगमगा रहा है मेरी बाहो मे
हैरान है सब, फलक पे नही है सितारे
बिछा दिये हम ने सारे उनकी राहों मे.
उसकी आंखो मे बंद रहना अच्छा लगता है
उसकी यादो मे आना जाना अच्छा लगता है
सब कहते है ये ख्वाब है तेरा लेकिन
ख्वाब मे मुझको रहना अच्छा लगता है.

Thursday, August 7, 2008

एक बूँद आंख का पानी हूँ मैं

एक बूँद आंख का पानी हूँ मैं

सब से छुपा कर दर्द जो उसने मुश्कुरा दिया.
उस की हँसी ने तो आज मुझे रुला दिया.
लहजे से उठ रहा था हर एक दर्द का धुंआ.
चेहरा बता रहा था के कुछ गँवा दिया।

आवाज़ में ठहरो था आंखों में नमी थी.
और कह रहा था के मैंने सब कुछ भुला दिया.
जाने क्या उस को लोगों से थी शिकायतें.
तनहाइयों के देश में ख़ुद को बसा दिया।


ख़ुद भी वो हम से बिछड़ कर अधूरा सा हो गया.
मुझ को भी इतने लोगों में तनहा बना दिया.

अगर रख सको तो एक निशानी हूँ मैं.
और खो दो तो सिर्फ़ एक कहानी हूँ मैं.
रोक पाए न जिसको ये सारी दुनिया.
वो एक बूँद आंख का पानी हूँ मैं.

दिल में तुम्हारे अपनी कमी छोड़ जायेंगे.
आंखों में आंसुओं की नमी छोड़ जायेंगे.
याद रखना मुझे ढूंढ़ते फिरोगे एक दिन.
जब हम यह जिंदगानी छोड़ जायेंगे।

...रवि

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ख्वाब

खुश हैं हम अपने ख्वाब में,

हमें खुश रहनें दो.....

ये तो हमें भी पता है कि एक दिन

ख्वाब टूटेगा ज़रूर"


...for my one special friend.
...Ravi

Wednesday, August 6, 2008

जब भी ख्वाहिश हुई

जब भी ख्वाहिश हुई

दिल ही काफी है फकत हाल पे रोने के लिए,
आँखों को छोड़ दें नींद-भर सोने के लिए।
तेरा साथ मुझे दे देता खुशियाँ ज़माने भर की,
और तेरा जाना काफी है मुझे रुलाने के लिए।

मैं हंसता हूँ गम-ए दौर मैं भी,
दिल का दरिया है गम छुपाने के लिए।
लुट गया दिल का मेरे सारा सुकून,
कुछ नही पास मेरे अब खोने के लिए।

एक शाना न मिला ढूंढे से,
पल दो पल चैन से सोने के लिए।
तीर सी बात आई और गयी भी हो गयी,
रह गया दर्द पलकें भिगोने के लिए।

दरो-दीवार ही फिर से सहारा देंगे,
जब भी ख्वाहिश हुई रोने के लिए।
हास-परिहास ताने-उल्हाने या दर्द ही,
हम हैं हाज़िर तेरा समान ढोने के लिए।

जिसमें सिर्फ़ मैं और मेरी तन्हाई हो,
मुन्तेजिर हूँ ऐसे किसी कोने के लिए।

...रवि

Tuesday, August 5, 2008

मंजिलें दूर हैं

मंजिलें दूर हैं

मंजिलें दूर हैं पर उनका सहारा भी है,
उनसे मिलने का हर वक्त गवारा भी है,
हर तरफ़ मुश्किलें हैं दिल को ये मालूम भी है,
हर तरफ़ खाई है कुछ दूर पर किनारा भी है।
मंजिलें दूर हैं पर उनका सहारा भी है...
मुद्दत तो न हुए थे पर दिल को क्यूँ ये लगता है,
दर्द बेसुमार है पर दिल को संभाला भी है,
इतनी शिद्दत से मैं उनका क्यूँ न इंतज़ार कतरा,
आख़िर वो दोस्तों में सब से प्यारा भी है.
मंजिलें दूर हैं पर उनका सहारा भी है...
वो जूनून नही पर जूनून से कम भी नही है वो,
महबूब इस दिल का और शुकून हमारा भी है,
न ख्वाहिश कम है न आरजू कम है उनका,
ज़ज्बा इस दिल का और सुरूर हमारा भी है.
मंजिलें दूर हैं पर उनका सहारा भी है...

...रवि

Monday, August 4, 2008

गर हम न रहे

गर हम न रहे

काँटों को चुभना सिखाया नही जाता,
फूल को खिलना सिखाया नही जाता।
कोई बन जाता है ख़ुद ब ख़ुद,
किसी को अपना बनाया नही जाता।


दिल जो टूटेगा तो फरियाद करोगे तुम,
हम न रहे तो हमें याद करोगे तुम।
आज तो कहते हो हमारे पास वक्त नही,
पर एक दिन मेरे लिये वक्त बरबाद करोगे तुम।


Sunday, August 3, 2008

ख्वाहिश


ख्वाहिश


इन्ही रिश्तों मे
किसी मोड़ पर
कौन थक गया, हार गया
पथरीली राहों का ज़हर
चुप चाप किसको मार गया
कौन कहे किससे
चमकती आँखों से दिये
बुझ क्यों गये
वीरान है आशियां
मकीन किधर जा बसे
वहशत-ज़दा सा कोई इन वीरानों में


खामोश उदास क्यों चुप चाप रोता है
उड़ती खाक किसको याद करती है
पानी बिना बरसे किसको भिगोता है
कौन कहे किस से
के राही राह क्यों भटक गया
सफर शुरु भी ना हुया और कोई बे-तरह थक गया
है कुछ कहने के लिये कुछ बचा ही नहीं
शायद कोई ख्वाहिश रोती रहती है
मेरे अंदर बारिश होती रहती है.

Saturday, August 2, 2008

मैं वही हूँ

मैं वही हूँ



मैं वही हूँ जिसे तुम प्यार किया करते थे
दिन में सौ बार मेरा नाम लिया करते थे
आज क्या बात है क्यूँ मुझसे खफा बैठे हो
क्या किसी और का दिल अपना बना बैठे हो ?

फासले पहले तो इतने न हुआ करते थे
मैं वही हूँ जिसे तुम प्यार किया करते थे
मन के ये गम है कोई सौगात नही
तुम हमें अपना कहो ऐसे भी हालात नही।

अगर भूल गए हो , तो कोई बात नही
ज़ख्म तो पहले भी इस दिल पे लगा करते थे
मैं वही हूँ,जिसे तुम प्यार किया करते थे
जी में आता है कि आज तुम्हें तडपा दूँ
दर्द जो तुमने दिए वो सब तुम को लौटा दूँ
अगर भूल गए हो तो ये बतला दूँ
तुम मुझे हासिल-ऐ- अरमान कहा करते थे
मैं वही हूँ जिसे तुम प्यार किया करते थे


Friday, August 1, 2008

अश्कों की ज़ुबाँ

अश्कों की ज़ुबाँ

निकले थे कहाँ जाने के लिए,
पहुंचे हैं कहाँ मालूम नहीं,
अब अपने भटकते कदमों को,

मंजिल का निशान मालूम नहीं,
बर्बाद वफ़ा का अफसाना हम,

किस से कहें और कैसे कहें,
खामोश हैं लब और दुनिया को,

अश्कों की जुबां मालूम नहीं.

दिल शोला-ए-ग़म से ख़ाक हुआ,
या आग लगी अरमानों में,
क्या चीज़ जली क्यूँ सीने से,

उठा हैं धुंआ मालूम नहीं,
हमने भी कभी इस गुलशन का,

एक ख्वाब-ए-बहारां देखा था,
कब फूल झरे, कब गर्द उडी,
कब आई खिजां मालूम नहीं.

...रवि
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