Thursday, August 7, 2008

एक बूँद आंख का पानी हूँ मैं

एक बूँद आंख का पानी हूँ मैं

सब से छुपा कर दर्द जो उसने मुश्कुरा दिया.
उस की हँसी ने तो आज मुझे रुला दिया.
लहजे से उठ रहा था हर एक दर्द का धुंआ.
चेहरा बता रहा था के कुछ गँवा दिया।

आवाज़ में ठहरो था आंखों में नमी थी.
और कह रहा था के मैंने सब कुछ भुला दिया.
जाने क्या उस को लोगों से थी शिकायतें.
तनहाइयों के देश में ख़ुद को बसा दिया।


ख़ुद भी वो हम से बिछड़ कर अधूरा सा हो गया.
मुझ को भी इतने लोगों में तनहा बना दिया.

अगर रख सको तो एक निशानी हूँ मैं.
और खो दो तो सिर्फ़ एक कहानी हूँ मैं.
रोक पाए न जिसको ये सारी दुनिया.
वो एक बूँद आंख का पानी हूँ मैं.

दिल में तुम्हारे अपनी कमी छोड़ जायेंगे.
आंखों में आंसुओं की नमी छोड़ जायेंगे.
याद रखना मुझे ढूंढ़ते फिरोगे एक दिन.
जब हम यह जिंदगानी छोड़ जायेंगे।

...रवि

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4 comments:

art said...

बहुत ही सुन्दर शव्दो से आप ने अपने मन के भाव कविता मे पिरोये हे

रश्मि प्रभा... said...

दिल में तुम्हारे अपनी कमी छोड़ जायेंगे.
आंखों में आंसुओं की नमी छोड़ जायेंगे.
याद रखना मुझे ढूंढ़ते फिरोगे एक दिन.
जब हम यह जिंदगानी छोड़ जायेंगे।........
bahut badhiyaa

बालकिशन said...

सुंदर और उम्दा..
बहुत खूब.

Udan Tashtari said...

बहुत बढिया.