Sunday, April 19, 2009

गिरने से पहले


जब भी होगी पहली बारिश
तुमको सामने पाएंगे
वो बूंदों से भरा चेहरा
तुम्हारा हम कैसे देख पाएंगे
बहेगी जब भी सर्द हवाएं
हम ख़ुद को तनहा पाएंगे
एहसास तुम्हारे साथ का
हम कैसे महसूस कर पाएंगे
इस दौड़ती हुई जिंदगी में
तो हम बिल्कुल ही रुक जायेंगे
थाम लो हमे गिरने से पहले
हम कैसे यूँ जी पाएंगे
ले डूबेगा ये दर्द हमें
और हम जीते जी मर जायेंगे