Thursday, July 24, 2008

रास्ते


रास्ते

बे-ज़मीन लोगों को
बेक़रार आँखो को
बद-नसीब कदमो को
जिस तरह भी ले जाये
रास्तों की मरज़ी है

बे-निशान जज़ीरों पर
बद-ग़ुमान शहरों में
बे-ज़ुबान मुसाफिर को
जिस तरह भी भटका दे
रास्तों की मरज़ी है

रोक दे या बढ़ने दे
थाम ले या गिरने दे
वसल की लकीरों को
तोड़ दे या मिलने दे
रास्तों की मरज़ी है

अजनबी कोई लाकर हमसफर बना दे
साथ चलने वालों की राख भी उड़ा दे
या मुस्फतें सारी
खाक मे मिला दे
रास्तों की मरज़ी है.
....Ravi
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2 comments:

seema gupta said...

अजनबी कोई लाकर हमसफर बना दे
साथ चलने वालों की राख भी उड़ा दे
या मुस्फतें सारी
खाक मे मिला दे
रास्तों की मरज़ी है.
"bemeesal"
jhan chahey vhan le jateyn hain rastey,
kabhee khud se kabhee tumse juda ho jatyn hain rastey,
in raston pr kaise safar krein hum, raston mey fir kho jateyn hain ye rasteyn....

Dr. Ravi Srivastava said...

Thanks seema ji.
Thanks for your valuable comments.
...Ravi