Tuesday, July 15, 2008

तू मुझसे जुदा मैं तुझसे जुदा




तू मुझसे जुदा मैं तुझसे जुदा


तुम याद मुझे करते होगे और ख्वाब मेरे बुनते होगी,
पहले की तरह शायद अब भी तस्वीर मेरी रखते होगी


अक्सर की दुओं में अब भी मेरे लिए तुम कहते होगी,
खुश रहने की शायद अब भी तम्बीह मुझे करते होगी


और देर तलक उन रास्तों पर तनहा तनहा चलते होगी,
गुमनाम अंधेरो में अब तो सपनो की कबर बन जाती है


सूरज की किरणों से अब रूह मेरी जल जाती है,
फिर सोचता हूँ शायद तुम भी कुछ खोये से रहते होगी


दुनिया की इस भीड़ में अक्सर घूम हो कर रहते होगी,
शायद उन लम्हों की यादें कांटो सी चुभती होंगी


फिर भूलने की खातिर उनको तुम ख़ुद से सौदा करते होगी,
हर शाम मैं तनहा रहता हूँ,रास्तो को मैं ताकता हूँ


कुछ होश नही है मुझको भी मैं मैं क्यों अब ऐसा रहता हूँ.



.....एक दिन मैंने अपने असू से सवाल किया की क्यों तुम चले आते हो मेरे पास। तब वो मचल के बोले की भरी महफिल मई तुम को अकेला पते है तो साथ देने चले आते है ........



न.B. It is here published by me because in my opinion, these words should be known to all.



With Spl.Thanks to Palak
...Ravihttp://galaxy-gyan-ganga.blogspot.com/

1 comment:

Anonymous said...

Woh Palak, kya likhi ho yaar??? i like it.

.......Shreya