Thursday, July 31, 2008

सोये से ख्वाब


पत्थर के इन रास्तों पर,

फूलों की एक चादर है।

जब से मिले हो हम को,

बदला हर एक मंज़र है।

देखो जहाँ में नीले-नीले आसमाँ तले,

रंग नए-नए हैं जैसे घुलते हुए।

सोये से ख्वाब मेरे जागे तेरे वास्ते,

तेरे ख्यालों से है भींगे मेरे रास्ते।


तुम क्यूँ चले आते हो,

हर रोज़ इन ख्वाबों में।

चुपके से आ भी जाओ,

एक दिन मेरी बाहों में।

तेरे ही सपने अंधेरों में उजालों में,

कोई नशा है तेरी आंखों के प्यालों में।

तू मेरे ख्वाबों में जावाबों में सवालों में,

हर दिन चुरा तुम्हें मै लता हूँ ख्यालों में।


..........क्या मुझे प्यार है....


...रवि
http://mere-khwabon-me.blogspot.com/

5 comments:

vipinkizindagi said...

bahut achche kyal...
bahut achchi rachna....

admin said...

हाँ, अगर सचमें ऐसा है, तो प्यार तो पक्का है।

रश्मि प्रभा... said...

हाँ, बिल्कुल प्यार है.......
और खुशनुमा भावनाओं से पूर्ण .

Smart Indian said...

सुंदर रचना!

Palak.p said...

Awesome
ek gana yaad aa gaya ye padh kar..
tu muze soch kabi
yahi chahat hai meri
mai tuze jaan kahu
yahi hasrat hai meri..
mai tere pyar ka Arman liye baitha hu........