Tuesday, September 2, 2008

मेरी हमसफर

ज़माना कुछ भी कहे उसका अहतराम ना कर

जिसे ज़मीर ना माने उसे सलाम ना कर

शराब पीकर बेहकना है अगर तो ना पी

हलाल चीज़ को इस तरह से हराम ना कर

ये अदा है, कोई गिला नही

मेरी हमसफर, मेरी ज़िन्दगी

मै ये सोचता हूँ के खुदा करे

तुझे ज़िन्दगी मे वो सुख मिले

जो मुझे ज़िन्दगी मे कभी मिला नही


...Ravi
http://mere-khwabon-me.blogspot.com/

6 comments:

manvinder bhimber said...

ज़माना कुछ भी कहे उसका अहतराम ना कर

जिसे ज़मीर ना माने उसे सलाम ना कर

शराब पीकर बेहकना है अगर तो ना पी

हलाल चीज़ को इस तरह से हराम ना कर

bahut khoobsurat andaaj

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बेहतरीन रचना है।

शराब पीकर बेहकना है अगर तो ना पी

हलाल चीज़ को इस तरह से हराम ना कर
बहुत सुन्दर!!

कामोद Kaamod said...

खूबसूरत अन्दज़े बयां..
लाज़वाब

नीरज गोस्वामी said...

जिसे ज़मीर ना माने उसे सलाम ना कर
लाख टके की बात...बहुत खूब.
नीरज

vipinkizindagi said...

बेहतरीन.....
सुन्दर.......

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

wah ustaad wah taaj mahal