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.....सुना है वो कह गए कि अब तो सिर्फ़ तुम्हारे ख्वाबो मैं ही आयेगे। कोई कह दे उनसे कि वो वादा करले, हम जिंदगी भर के लिए सो जायेगे......
एक आंसू भी गिरा तो सुनाई देगा
इस रात की तन्हाइयों की बात लिखूं,
या दीदार को तरसती आँखों का हिसाब लिखूं,
तुमसे दूर रहने का गम बयान करुँ,
या फिर अपनी ही बंद जुबां करुँ.
नज़रें मिले एक ज़माना हो गया,
ऐसा लगता है अपना भी कोई बेगाना हो गया,
वो तो चले गए हमसे दूर,
लेकिन मुश्किल इस दिल को समझाना हो गया.
याद में तेरी, आँखे भरता है कोई,
हर सांस के साथ तुझे याद करता है कोई,
मौत तो सच्चाई है, आनी है एक दिन,
लेकिन तेरी जुदाई में हर रोज़ मरता है कोई.
हमे भी प्यार करने का ख़याल आया,
जब भी यह ख़याल आया खुद को अकेला पाया,
घुमते रहे इस दुनिया में हमसफ़र,
किसी को धोखेबाज़, किसी को बेवफा ही पाया.
जुबान खामोश, आँखों में नमी है,
यही एक दास्तान-ए-दोस्ती है ,
यूँ तो सब ज़ख्म भर जाते हैं,
कैसे भरेगी वो जगह जहां आप की कमी है.
हर शाम के बाद रात आती है,
हर बात के बाद तुम्हारी याद आती है,
चुप रहकर भी देख लिया हमने,
खामोशियो से भी तुम्हारी आवाज़ आती है.
यूँ ही तन्हाई में हम दिल को सज़ा देते हैं,
नाम लिखते हैं तेरा लिख कर मिटा देते हैं,
यही सोच कर रहने दिया अरमानों को दिल में,
मेहमान कभी घर से निकाले नही जाते.
आज खुशियो की कोई दुहाई देगा,
निकला है चाँद तो दिखाई देगा,
ए मोहब्बत करने वालों,
ज़रा देख के मोहब्बत करना,
एक आंसू भी गिरा तो सुनाई देगा.
फूल खिलते रहें जिंदगी की राह में,
हँसी चमकती रहे आप की निगाह में
कदम कदम पे मिले खुशिओं की बहार, आप को,
दिल देता है यह ही दुआ बार बार आप को.
...Ravi
from- “Mere Khwabon Me”
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जीवन क्या है
जीवन जीना एक कला है. यह अधिकांश लोगों के समझ में नही आता. जिंदगी एक खेल है जिसमें हार - जीत और सफलता-असफलता आवश्यकता से अधिक महत्व देकर परेशान नही होना चाहिए. बस हंसते हुए इसे खेलना चाहिए और सदा जीत की और प्रयासरत होना चाहिए.
जीवन एक युद्ध है. इसे कायरों को भी लड़ना पड़ता है. कठिनाईयां, मुसीबतें और दुःख ऐसे ही शत्रु हैं जिनसे हमें लड़ना ही होगा. इनसे पीछा छुडाना असंभव है. इस लड़ाई को अपनी मजबूरी समझकर नही बल्कि एक चुनौती समझकर बहादुरी पूर्वक खुशी से हंसकर लड़ना चाहिए, रोकर नही. और फ़िर, हंसने में तो सभी साथ देते हैं, रोने में कोई साथ नही देता.
जीवन एक महँ यात्रा है. रास्ते में राहगीर को कभी साफ़ सड़क तो कभी कंटीले जंगल भी पार करने होते हैं. कभी पहाड़ पर चढाई करनी होती है तो कभी कहीं नदियों को तैरकर पार करमा पड़ता है. पर रास्ते की थकान वह घबराकर या रास्ता बहुत लंबा है…सोचकर यदि वह बैठ जाए तो वह मंजिल पर नही पहुँच सकता. सच्चे राहगीर की तरह जिंदगी के उतार-चढाव के बीच भी अपनी लक्ष्य के प्रति लगन व तत्परता बनाये रखें तो देर-सबेर मंजिल तक पहुचना निश्चित समझिये. सुच-दुःख को रास्ते किड हूप-छावं माने. इनमे आशक्त नह ओं. सुख हो या दुःख, कोई भी समय ज्यादा देर तक स्थायी नही रह सकता.
पत्थर वर्षों तक नदी में पड़ा रहे तो भी उसके भीतर नमी नही पहुँच पति. तोड़ने पर सूखा ही निकलता है. किंतु मिटटी का धेला जरा सा पानी पड़ने से ही गीला हो जाता है. उसी तरह भावनाशील ह्रदय थोडे से उपदेश को भी हृदयंगम कर लेता है पर आडम्बर में दुबे रहने वालों का ज्ञान जीभ तक ही सीमित रहता है. वे उसे भीतर नही उतार पाते. फलतः बकवादी बैंकर रह जाते हैं.
बात-चित का स्टार भी मनुष्य के प्रभाव और व्यक्तित्व को प्रकट करता है. बहुत ज्यादा चुप रहने वाले अथवा अधिक बोलने वाले, दोनों ही तरह के लोग अच्छे नही समझे जाते. आवाश्यक्तानुशार ठोस और नपी-तुली बात-चित करमा मनुष्य के व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाती है.
...रवि
तू मुझसे जुदा मैं तुझसे जुदा
तुम याद मुझे करते होगे और ख्वाब मेरे बुनते होगी,
पहले की तरह शायद अब भी तस्वीर मेरी रखते होगी
अक्सर की दुओं में अब भी मेरे लिए तुम कहते होगी,
खुश रहने की शायद अब भी तम्बीह मुझे करते होगी
और देर तलक उन रास्तों पर तनहा तनहा चलते होगी,
गुमनाम अंधेरो में अब तो सपनो की कबर बन जाती है
सूरज की किरणों से अब रूह मेरी जल जाती है,
फिर सोचता हूँ शायद तुम भी कुछ खोये से रहते होगी
दुनिया की इस भीड़ में अक्सर घूम हो कर रहते होगी,
शायद उन लम्हों की यादें कांटो सी चुभती होंगी
फिर भूलने की खातिर उनको तुम ख़ुद से सौदा करते होगी,
हर शाम मैं तनहा रहता हूँ,रास्तो को मैं ताकता हूँ
कुछ होश नही है मुझको भी मैं मैं क्यों अब ऐसा रहता हूँ.
.....एक दिन मैंने अपने असू से सवाल किया की क्यों तुम चले आते हो मेरे पास। तब वो मचल के बोले की भरी महफिल मई तुम को अकेला पते है तो साथ देने चले आते है ........
न.B. It is here published by me because in my opinion, these words should be known to all.
With Spl.Thanks to Palak
...Ravihttp://galaxy-gyan-ganga.blogspot.com/
...रवि
डर लगता है
थमे हुए पानी मे भी अब जाने से डर लगता हैखुले आसमान मे भी जाने से डर लगता हैकभी सुनाते थे यारो को हम भी किस्से मोहब्बत केअब तो इश्क़ के ढाई अक्शर गुनगुनाने से डर लगता है
हम किसके सहारे जीये
कुछ तो जीते है जन्नत की तमन्ना लेकरकुछ तमान्ये जिना सिखा देती हैहम किसके सहारे जीयेज़िन्दगी रोज एक तमन्ना बढा देती है
नये ज़माने की मोहब्बत
हमे तो इश्तेहारो सी लगती है ये मोहब्बत की कहानियाँजो कहा नही वो सुना करो, जो सुना नही वो कहा करोये तो नये ज़माने की मोहब्बत है यार्रोजरा फासले से मिला करो
किसी की नज़र मे हूँ
मिट्टी का जिस्म लेके पानी के घर मे हूँमन्ज़िल है मौत मेरीमै हर पल सफर मे हूँहोना है क़त्ल ये मालुम है मुझेलेकिन खबर नही किसी की नज़र मे हूँ
दोस्ती बेची
कभी आंसू तो कभी खुशी बेचीहमने अकेलेपन मे तन्हाई बेचीचन्द सांसे है खरीदने के लियेरोज मरती हुई ज़िन्दगी बेचीसताने लगे जब मुझ मेरे ही सायेपरेशान होके मैने रोशनी बेचीएक हम ही थे जो खुद ही बिक गयेवरना लोगो ने तो ज़िन्दगी बेची