जब भी ख्वाहिश हुई
दिल ही काफी है फकत हाल पे रोने के लिए,
आँखों को छोड़ दें नींद-भर सोने के लिए।
आँखों को छोड़ दें नींद-भर सोने के लिए।
तेरा साथ मुझे दे देता खुशियाँ ज़माने भर की,
और तेरा जाना काफी है मुझे रुलाने के लिए।
और तेरा जाना काफी है मुझे रुलाने के लिए।
मैं हंसता हूँ गम-ए दौर मैं भी,
दिल का दरिया है गम छुपाने के लिए।
दिल का दरिया है गम छुपाने के लिए।
लुट गया दिल का मेरे सारा सुकून,
कुछ नही पास मेरे अब खोने के लिए।
कुछ नही पास मेरे अब खोने के लिए।
एक शाना न मिला ढूंढे से,
पल दो पल चैन से सोने के लिए।
तीर सी बात आई और गयी भी हो गयी,
रह गया दर्द पलकें भिगोने के लिए।
रह गया दर्द पलकें भिगोने के लिए।
दरो-दीवार ही फिर से सहारा देंगे,
जब भी ख्वाहिश हुई रोने के लिए।
हास-परिहास ताने-उल्हाने या दर्द ही,
हम हैं हाज़िर तेरा समान ढोने के लिए।
जिसमें सिर्फ़ मैं और मेरी तन्हाई हो,
मुन्तेजिर हूँ ऐसे किसी कोने के लिए।
...रवि
4 comments:
bahut achchi....
bahut sundar....
behatarin
दिल ही काफी है फकत हाल पे रोने के लिए,
आँखों को छोड़ दें नींद-भर सोने के लिए।तेरा साथ मुझे दे देता खुशियाँ ज़माने भर की,
और तेरा जाना काफी है मुझे रुलाने के लिए।
शायद ये लाइनें ही डाल देते मुकम्मल थी। बहुत बढ़िया, सुंदर...अति उत्तम।।।।।
बेहतरीन...वाह!
sookh jaate hain lub, lafz milte nahi....
hota nahi humse ishq bayaan....
unhe kaise bataoon dil ki lagi
kaise sikhaoon aankhon ki zubaan...
i think this shayri match here perfeclty
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