इज़हार-ऐ-इश्क तुमने ही तो किया था
पहले तो मैंने भी इनकार किया था
कर के यकीन तेरे उन वादों पर
गुन्नाह-ऐ- मोहब्बत कर बैठा।
कैसे मिटा तेरी यादें।
कभी आर कभी पार
सिर्फ़ तुझ को ही पुकारू
.....सुना है वो कह गए कि अब तो सिर्फ़ तुम्हारे ख्वाबो मैं ही आयेगे। कोई कह दे उनसे कि वो वादा करले, हम जिंदगी भर के लिए सो जायेगे......
तू सदफ है हमे तसलीम है ये बात मगर
साथ मिलता जो तेरा हम भी गुहार हो जाते
तू कभी रब से हमे मांग के तकता तो सही
हम तेरी सारी दुआओ का असर हो जाते।
...रवि
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...रवि
दिल जो टूटेगा तो फरियाद करोगे तुम,
हम न रहे तो हमें याद करोगे तुम।
आज तो कहते हो हमारे पास वक्त नही,
पर एक दिन मेरे लिये वक्त बरबाद करोगे तुम।
खामोश उदास क्यों चुप चाप रोता है
उड़ती खाक किसको याद करती है
पानी बिना बरसे किसको भिगोता है
कौन कहे किस से
के राही राह क्यों भटक गया
सफर शुरु भी ना हुया और कोई बे-तरह थक गया
है कुछ कहने के लिये कुछ बचा ही नहीं
शायद कोई ख्वाहिश रोती रहती है
मेरे अंदर बारिश होती रहती है.