एक दिन बहारों के फूल मुरझा जायेंगे,
जब भूले से कभी हम याद आयेंगे.
अहसास होगा तुम्हे हमारी दोस्ती का जब,
दूर बहुत दूर हम तुम से चले जायेंगे।
जब भूले से कभी हम याद आयेंगे.
अहसास होगा तुम्हे हमारी दोस्ती का जब,
दूर बहुत दूर हम तुम से चले जायेंगे।
आसमान को नीद ए तो सुलाऊं कहाँ,
धरती को मौत ए तो दफानाउन कहाँ.
सागर में लहर उठे तो छुपाऊं कहाँ,
आप जैसे दोस्त की याद ए तो जाऊं कहाँ।
उम्मीद ऐसी हो जो जीने को मजबूर करदे,
राह ऐसी हो जो चलने को मजबूर करदे.
महक कभी कम न हो अपनी दोस्ती की,
यारी ऐसी हो जो मिलने को मजबूर करदे।
...Ravi
http://mere-khwabon-me.blogspot.com/
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9 comments:
उम्मीद ऐसी हो जो जीने को मजबूर करदे,
राह ऐसी हो जो चलने को मजबूर करदे.
महक कभी कम न हो अपनी दोस्ती की,
यारी ऐसी हो जो मिलने को मजबूर करदे।
bahut sunder
महक कभी कम न हो अपनी दोस्ती की,
यारी ऐसी हो जो मिलने को मजबूर करदे। ............
बहुत खूब। धन्यवाद ऐसी कविता के लिए।
एक दिन बहारों के फूल मुरझा जायेंगे,
जब भूले से कभी हम याद आयेंगे.
अहसास होगा तुम्हे हमारी दोस्ती का जब,
दूर बहुत दूर हम तुम से चले जायेंगे।
बहुत ख़ूब...
बहुत अच्छा लिखा है. बधाई.
बहुत उम्दा, क्या बात है!
उम्मीद ऐसी हो जो जीने को मजबूर करदे,
राह ऐसी हो जो चलने को मजबूर करदे.
महक कभी कम न हो अपनी दोस्ती की,
यारी ऐसी हो जो मिलने को मजबूर करदे।
बहुत अच्छा लिखा है. बधाई.
Bahot khoob.....
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Very nicce!
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