Wednesday, September 10, 2008

बहुत दूर हम तुम से चले जायेंगे


एक दिन बहारों के फूल मुरझा जायेंगे,
जब भूले से कभी हम याद आयेंगे.
अहसास होगा तुम्हे हमारी दोस्ती का जब,
दूर बहुत दूर हम तुम से चले जायेंगे।


आसमान को नीद ए तो सुलाऊं कहाँ,
धरती को मौत ए तो दफानाउन कहाँ.
सागर में लहर उठे तो छुपाऊं कहाँ,
आप जैसे दोस्त की याद ए तो जाऊं कहाँ।


उम्मीद ऐसी हो जो जीने को मजबूर करदे,
राह ऐसी हो जो चलने को मजबूर करदे.
महक कभी कम न हो अपनी दोस्ती की,
यारी ऐसी हो जो मिलने को मजबूर करदे।


...Ravi
http://mere-khwabon-me.blogspot.com/

9 comments:

manvinder bhimber said...

उम्मीद ऐसी हो जो जीने को मजबूर करदे,
राह ऐसी हो जो चलने को मजबूर करदे.
महक कभी कम न हो अपनी दोस्ती की,
यारी ऐसी हो जो मिलने को मजबूर करदे।
bahut sunder

संगीता पुरी said...

महक कभी कम न हो अपनी दोस्ती की,
यारी ऐसी हो जो मिलने को मजबूर करदे। ............

बहुत खूब। धन्यवाद ऐसी कविता के लिए।

फ़िरदौस ख़ान said...

एक दिन बहारों के फूल मुरझा जायेंगे,
जब भूले से कभी हम याद आयेंगे.
अहसास होगा तुम्हे हमारी दोस्ती का जब,
दूर बहुत दूर हम तुम से चले जायेंगे।

बहुत ख़ूब...

शोभा said...

बहुत अच्छा लिखा है. बधाई.

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा, क्या बात है!

कामोद Kaamod said...

उम्मीद ऐसी हो जो जीने को मजबूर करदे,
राह ऐसी हो जो चलने को मजबूर करदे.
महक कभी कम न हो अपनी दोस्ती की,
यारी ऐसी हो जो मिलने को मजबूर करदे।

बहुत अच्छा लिखा है. बधाई.

Palak.p said...

Bahot khoob.....

Anonymous said...

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Anonymous said...

Very nicce!