मंजूर नही थी तुमसे जुदाई,
रुला दिया मुझे दर्द के आंसुओं में,
चुप रही वो मासूम सी दुल्हन,
प्यार बनकर चली थी तेरे आँगन में,
छोड़ आए थे सारी खुशियाँ,
रुला दिया मुझे दर्द के आंसुओं में,
...रवि
http://mere-khwabon-me.blogspot.com/
Friday, September 19, 2008
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7 comments:
Milna ittifaq tha,bichadnaa naseeb tha,
Vo utna door gaya,jitne kareeb tha,
Hum unko dekhne ko taraste hi reh gaye,
Jis shaks ki hatheli pay hamaara naseeb tha…
palak
मंजूर नही थी तुमसे जुदाई,
रुला दिया मुझे दर्द के आंसुओं में,
चुप रही वो मासूम सी दुल्हन,
प्यार बनकर चली थी तेरे आँगन में,
छोड़ आए थे सारी खुशियाँ,
रुला दिया मुझे दर्द के आंसुओं में,
बहुत ही उम्दा...
kya baat hai Ravi ji. bhut badhiya. jari rhe.
बहुत सुन्दर रचना है।
Milna ittifaq tha,bichadnaa naseeb tha,
Vo utna door gaya,jitne kareeb tha,
.....yahi hota hai
रुला दिया मुझे दर्द के आंसुओं में
वाह.....दर्द भरी रचना...लेकिन सच्ची...
नीरज
बेहतरीन!!
वाह!!
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