Tuesday, June 2, 2009

इल्जाम


दीवानगी की मुझ पर तोहमत है जो ग़लत है।
रुसवा हुई हूँ मैं तो अपनी जुगनूगरी से॥
शगुफ्ता बात मेरी पल्लू में बाँध लेना।
उम्मीद मत लगाना अब तुम कभी किसी से॥

द्वारा – "मेरी पत्रिका"
http://www.meripatrika.co.cc/

3 comments:

अनिल कान्त said...

bahut achchhi lagi...achchha likhte hain aap

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

रश्मि प्रभा... said...

बहुत ही बढिया...
शगुफ्ता बात मेरी पल्लू में बाँध लेना।
क्या कहने हैं !

वीनस केसरी said...

रवि,
आप मेरे ब्लॉग पर आगे और आपको मेरी गजल पसंद आई इसके लिए हार्दिक धन्यवाद
रही बात टेम्पलेट की तो इसको लगाना बहुत आसान है गूगल के इमेज सर्च में जा कर "ब्लागस्पाट टेम्पलेट डाउनलोड" को सर्च करिए जो जो पसंद आये उसे अपने ब्लॉग पर लगा लीजिये
बैकअप जरूर ले लीजियेगा

वीनस केसरी