मोहब्बत से भी नफरत हो गई है
हमें यह कैसी वहशत हो गई है
फ़ना कर डालू ख़ुद को और सब को
मेरी यह कैसी फितरत हो गई है
जहाँ मतलब वहां मोहब्बत मिलेगी
तिजारत से मोहब्बत हो गई है
मुझे वहशत थी जिस दीवानगी से
वो ही मेरी किस्मत हो गई है
हमें यह कैसी वहशत हो गई है
फ़ना कर डालू ख़ुद को और सब को
मेरी यह कैसी फितरत हो गई है
जहाँ मतलब वहां मोहब्बत मिलेगी
तिजारत से मोहब्बत हो गई है
मुझे वहशत थी जिस दीवानगी से
वो ही मेरी किस्मत हो गई है
6 comments:
प्यार ऐसा ही होता है जिसमे कुछ दिखता नही है .....
अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिए है।बधाई।
mahobat se nafrat se kya hoga hasil
jo jism se ho kar ruh mai uthar chuki hai
kehtay hai ruh to hai allah ka ghar
bhala allah ke dar se kaise narazgi
nice one..
keep posting...
bahut bhaavmay abhivyakti hai aabhaar
खूबसूरत एहसास; अच्छी रचना
मोहब्बत से भी नफरत हो गई है
हमें यह कैसी वहशत हो गई है
ji haan kabhi kabhi aisa bhi hota hai...
bahit hi vazib si gazal hain...insaani zajbaaton ko bahut hi sahi aur saade tareeke se uker diya aapne..
ye itna asaan nahi hai..
bahut bahut badhai aapko...
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